Bhagavad Gita: गीता पढ़कर दुनिया के इन 8 महान लोगों की अर्जुन की तरह बदल गई थी ज़िंदगी

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भारतीय संस्कृति का पूरी दुनिया में बोलबाला है। जब बात हो भगवत गीता (Bhagavad Gita) की तो ये सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि विदेशों का ग्रन्थ भी बन चुका है। विदेशों से भी लोग भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं और वह भारत के मंदिरों का भ्रमण करने दूर-दूर से आ रहे हैं। भारतीय दर्शन से जुड़े साहित्य की बड़ी संख्या मौजूद है लेकिन इन सबके बीच Bhagavad Gita का एक अहम स्थान है।

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महाभारत के एक हिस्से के रूप में शामिल गीता के दर्शन ने अर्जुन को न सिर्फ रास्ता दिखाया था, बल्कि आज तक गीता अनगिनत लोगों को भी प्रेरणा प्रदान करती आई है। इसमें ना सिर्फ भारतीय लोगों के नाम शामिल हैं बल्कि हैरानी वाली बात ये है कि Bhagavad Gita से प्रेरित होकर दुनिया के कई विदेशी भी महान कार्य को अंजाम दे चुके हैं। आज हम आपको उन लोगों से रूबरू करवाने जा रहे हैं।

अल्बर्ट आइंसटीन

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जर्मनी में जन्मे भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंसटीन भगवत गीता के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों से बहुत प्रभावित थे। Bhagavad Gita को लेकर एक बार उन्होंने कहा था कि, ‘जब मैंने भगवत गीता को पढ़ा तो मुझे पता चला कि ईश्वर ने कैसे दुनिया को बनाया है और मुझे यह अनुभव हुआ कि प्रकृति ने हर वस्तु कितनी प्रचुरता में प्रदान की है।’ आइंसटीन ने दुनिया को सुझाव देते हुए कहा था कि, ‘मैं आप सब से कहना चाहता हूं कि गीता को जरूर पढ़े और आप खुद देखेंगे कि उसने आपके जीवन को कितना प्रभावित किया है।’

हेनरी डेविड थोरो

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अमेरिका के प्रसिद्ध प्रकृतिवादी, दार्शनिक, कवि हेनरी डेविड थोरो भी भगवत गीता से प्रेरित थे। हेनरी भारतीय फ़िलॉसफी और यहाँ के आध्यात्मिक विचारों से आकर्षित थे। उन्हें सबसे ज्यादा लोकप्रियता उनकी किताब ‘वाल्डेन’ से मिली थी। इस किताब में उन्होंने Bhagavad Gita का कई बार उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी किताब के पहले ही अध्याय में लिखा था कि, ‘पूर्व के सभी खंडहरों की तुलना में भगवत गीता कितनी अधिक प्रशंसनीय है।’

जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर

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अमेरिका के भौतिक वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर को परमाणु बम का जनक कहा जाता है। वह द्वितीय विश्व युद्ध में जापान में हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम विस्फोटों में भी शामिल थे। ओपेनहाइमर ने Bhagavad Gita को संस्कृत में पढ़ा था। साथ ही पहली परमाणु बमबारी को देखते हुए उन्हें भगवान श्रीकृष्णा के शब्द याद आए थे- “अब मैं मृत्यु बन गया हूं, संसारों का नाश करने वाला।”

टी एस एलियट

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अमेरिकी कवि टी एस एलियट भारतीय फ़िलॉसफ़ी से काफी ज्यादा प्रभावित थे। उन्होंने अपनी कविता The Dry Salvages में कृष्ण-अर्जुन के बीच हुई बातचीत का उल्लेख भी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि, “व्यक्ति को व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के बजाय ईश्वरीय इच्छा का पालन करने की आवश्यकता है”।

सुनीता विलियम्स

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अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक और नौसेना अधिकारी सुनीता विलियम्स के पास अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा वक्त तक चलने का रिकॉर्ड है। जब सुनीता विलियम्स अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपने मिशन पर जा रही थीं, तब उन्होंने अपने साथ अंतरिक्ष में ले जाने के लिए एक गणेश भगवान की मूर्ति और भगवत गीता की एक कॉपी भी रखी थी।

एनी बेसेंट

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ब्रिटिश सामाजिक कार्यकर्ता और महिला अधिकारों के लिए हमेशा अपनी आवाज उठाने वालीं एनी बेसेंट ने स्वतंत्रता संघर्ष के समय भारतीय गृह-शासन का समर्थन किया था। उन्होंने Bhagavad Gita का अनुवाद “द लॉर्ड सॉन्ग” के नाम से किया।

फिलिप ग्लास

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अमेरिकी संगीतकार फिलिप ग्लास अक्सर ही अपने काम के दौरान Bhagavad Gita का उल्लेख किया करते थे। फिलिप को 20वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली संगीतकारों के रूप में जाना जाता है। फिलिप ने सत्याग्रह नाम से महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित एक ओपेरा की रचना की थी। इसके परफॉरमेंस के दौरान फिलिप ने संस्कृत में भगवत गीता के पाठ भी गाए थे।

वॉरेन हेस्टिंग्स

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ब्रिटिश शासन में भारत के बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने Bhagavad Gita का अंग्रेजी में अनुवाद किया था। फिर उन्होंने इसकी प्रति ईस्ट इंडिया कंपनी के चेयरमैन को भेंट की थी।

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