गिलहराज महाराज mandir, जिसकी भारतीय भक्ति में ‘गिलहरी रूप में पूजा की जाने वाले हनुमान mandir’ के रूप में जाना जाता है, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित है। यह mandir अपनी अनोखी पूजा पद्धति के लिए देश भर में मशहूर है और इसे लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र माना जाता है।
कैसे हुई mandir की स्थापना
इस mandir का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे स्थापित करने का श्रेय राजा बालचंद्र नामक एक समराट को जाता है। मान्यता के अनुसार, एक बार राजा बालचंद्र को सपने में भगवान हनुमान ने दर्शन दिए और वह गिलहरी रूप में प्रकट हुए। यह अनुभव राजा को गहरी भक्ति में ले आया और उन्होंने तत्पश्चात इस mandir की स्थापना की और हनुमान जी की गिलहरी रूप में पूजा करने लगी।
हनुमान जी का विलक्षण पूजा स्थल
गिलहरी रूप में पूजे जाने का कारण भी इस मंदिर के पीछे एक मान्यता है। इस मान्यता के अनुसार, एक दिन माता सीता ने हनुमान जी को लक्ष्मण के पास जाकर खाने के लिए दौड़ाते हुए देखा। हनुमान जी खाने के लिए दौड़ रहे थे, तो दौड़ते-दौड़ते उन्हें गिलहरी रूप में बदलते हुए देखा गया। इस प्रकार, गिलहरी रूप में प्रकट होने की घटना ने माता सीता को आश्चर्यचकित किया और उन्होंने हनुमान जी की इस अनूठी रूपरेखा को अपनाया।
गिलहराज महाराज मंदिर एक प्राचीन स्थल है, जिसमें भगवान हनुमान की मूर्ति गिलहरी रूप में स्थापित है। मंदिर की सजावट आकर्षक है और इसका मार्ग पूर्वी उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थलों की यात्राओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। mandir के आस-पास खूबसूरत वातावरण है और श्रद्धालुओं को मन को शांति और सुख की अनुभूति होती है।
अद्वितीय रूप में पूजे जाने वाला गिलहराज महाराज mandir
मंदिर के महंत के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण नाथ संप्रदाय के एक महंत ने करवाया था। कहते हैं कि हनुमान जी ने उन्हें सपने में बताया कि वो अचल ताल पर निवास करते हैं। महंत ने जब उस जगह पर जाकर खोजा तो उन्हें वहां मिट्टी के ढेर पर बहुत गिलहरियां मिलीं। उन्हें हटा कर जब उस जगह को खोदा तो वहां से मूर्ति निकली। ये मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमान जी की थी।
बताते हैं कि सैकड़ों साल पहले इस मंदिर का निर्माण किया गया। Mandir कितना प्राचीन है, इस बारे में किसी को ज़्यादा जानकरी नहीं हैं। मगर इसकी प्राचीनता का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ जी ने यहां अचल ताल पर पूजा की थी।
बड़ीं संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं लोग
दुनिया में यह एकमात्र ऐसा mandir है जहां हनुमान जी का गिलहरी रूप में पूजा जाता है। इसके कारण मंदिर से जुड़ी भक्तों की गहरी आस्था है। कहा जाता है कि यहां 41 दिन लगातार दर्शन और पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही, यहां ग्रहों के प्रकोप से भी मुक्ति प्राप्त होती है, खासकर शनि ग्रह के प्रकोप से। इसलिए, यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं।
गिलहराज महाराज mandir अपने विशेषताओं के कारण लोकप्रिय है। भक्तों के लिए यह स्थान एक पवित्र स्थल है जहां हनुमान जी को उनके अनोखे रूप में पूजा जाता है। यहां के दर्शन और पूजा से लोगों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है और उनकी सभी आशाएं पूरी होती हैं। इसके अतिरिक्त, यहां आने से ग्रहों के दोषों से राहत मिलती है और शनि ग्रह के प्रभाव से भी मुक्ति प्राप्त होती है।
Read more:जानिए IPL के सभी 10 team के मालिक कौन हैं और कितने अमीर?