Tamil Nadu: हमारे देश में आज भी अनगिनत परंपराएं मौजूद हैं। जब भी हम किसी अजनबी जगह पर जाते हैं, तो हमें उनके लोगों की भाषा, खान-पान और रहन-सहन में अद्वितीयता दिखाई देती है। इसके साथ ही, हर गांव, शहर और राज्य की अपनी-अपनी मान्यताएं भी होती हैं।
Tamil Nadu के अंडमान गांव में भी एक अनोखी परंपरा मौजूद है, जिसे सुनकर आपको आश्चर्य होगा। यहां लोगों के जूते-चप्पल पहनने पर मनाही है।
Tamil Nadu का गांव : जहां जूते-चप्पल पहनना एक मान्यता का विषय है
Tamil Nadu की राजधानी चेन्नई से करीब 450 किलोमीटर दूर, अंडमान गांव में आपको जूते-चप्पल पहने एक भी व्यक्ति नजर नहीं आएगा। इस गांव में लोगों के लिए जूते-चप्पल पहनना एक सख्त मान्यता का विषय है। गांव के सीमा के अंदर रहने वाले लोग, किसी भी कार्य के लिए गांव से बाहर जाते हैं, तब तक जूते-चप्पल हाथों में ही पकड़े जाते हैं।
देवी मुथियालम्मा: गांव की सुरक्षा की रक्षाकर्ता के सम्मान में
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस गांव के निकट एक पुराना जलाशय है जिसके बारे में एक बुजुर्ग ने बताया। इस जलाशय के पास ही एक नीम के पेड़ के नीचे देवी मुथियालम्मा का मंदिर स्थित है। यहां पर आने से पहले लोगों को अपने जूते और चप्पल उतारने की परंपरा है और उन्हें अपने हाथों में लेना होता है। इस गांव में केवल बीमार और बुजुर्ग ही जूते और चप्पल पहन सकते हैं।
स्वतंत्रता की प्रतीक: जूते-चप्पल उतारने की अनोखी परंपरा
यह गांव अपने विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है, जहां लोगों को अपनी स्वतंत्रता दी जाती है कि वे खुद ही अपनी जूते-चप्पल उतारें और रहें। यहां की यह प्रथा लोगों द्वारा स्वतः ही पालन की जाती है। इस प्रथा को विदेशी आगंतुकों को भी बताया जाता है, लेकिन उन पर कोई दबाव नहीं बनाया जाता है।
क्या हैं परंपरा क इतिहास
परंपरा की असली कहानी बहुत रोचक है। गांव के एक नामी निवासी लक्ष्मणन वीरभद्र ने बताया कि 70 साल पहले गांव वालों ने देवी मुथियालम्मा की मिट्टी से पहली मूर्ति को एक नीम के पेड़ के नीचे स्थापित किया था। पूजारी देवी माता की पूजा में व्यस्त थे, जब एक युवक जूते पहनकर मूर्ति के पास से गुजर गया। उसी दिन उस युवक को एक बीमारी हो गई और उसे काफी दिनों तक तेज बुखार रहा, जो कुछ महीनों बाद ही ठीक हुआ।
53 साल के आर्टिस्ट करूपय्या पांडे ने बताया कि उनकी यह चौथी पीढ़ी है जो इस गांव में रहती है। वे बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने इस परंपरा को अपनाया है और वे भी उसे आज तक निभा रहे हैं।
इस घटना के बाद से ही गांव के लोग अपने पैरों को नंगा रखते हैं। आज यह प्रथा इस गांव के लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है।
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