Ayesha Khan: करना आसान लगता है और इसलिए कुछ पुरुष अपनी इच्छानुसार बर्ताव करते हैं। वे महिलाओं को निर्ममता से सामर्थ्य करते हैं, उन्हें जबरदस्ती अपने सिर पर बिठा देते हैं और कभी बेहद बदहवासी से ज़मीन पर पटक देते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि पुरुषों को इस प्रकार के बर्ताव के पीछे चिंतन और योजना का काम होता है। वे महिलाओं के साथ बराबरिता करने और समझदारी से कृत्य करने की गणना करते हैं। अगर पत्नी कमाती है तो उसे रानी बनाना है, जबकि अगर वह बेरोजगार है तो उसे नौकरानी बनाना है।
उत्तर प्रदेश की Ayesha Khan: 43 साल की उम्र में ADJ बनीं, महिला सशक्तिकरण का उदाहरण
Ayesha Khan (Uttar Pradesh ADJ Ayesha Malik) के बारे में जानने के लिए धन्यवाद। आयशा मलिक ने 43 साल की उम्र में कैसे ADJ बनने का कामयाबी प्राप्त किया है, यह एक रोचक कहानी है।
Ayesha Khan उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने 43 साल की उम्र में ADJ (Additional District Judge) की परीक्षा पास करके अपने इतिहास को रच दिया है। शादी के बाद वह मलिक सरनेम का इस्तेमाल करने लगीं, लेकिन पति से अलग होने के बाद अब वह आयशा ख़ान के नाम से जानी जाती हैं।
महिलाओं की सशक्तिकरण की अनमोल कहानी: Ayesha Khan की उदय
7 साल पहले, उनके पति से झगड़ा हो जाने के कारण Ayesha Khan ने अपने मायके में रहने का निर्णय लिया और अरबी मदरसे में रहने लगीं, जहां वह अपने दो बच्चों के साथ रहती हैं। उनके बेटे माहिन ख़ान इंटरमीडिएट और बेटी आलिया ख़ान कक्षा 8 में पढ़ रही हैं।
पति से अलग होने के बाद, उनके पति ने दूसरी शादी कर ली और ज़िम्मेदारी आयशा पर आ गई। आयशा शादी के बावजूद सिविल सर्विसेज़ की प्रैक्टिस जारी रख रही थीं। उनके पति से अलग होने के बाद, उन्होंने अपनी पढ़ाई पर फ़ोकस किया और 43 साल की उम्र में झारखंड की HJS (Higher Judicial Services) की परीक्षा में 7वीं रैंक हासिल करके एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के पद पर नियुक्ति प्राप्त की है। आयशा मलिक इससे पहले वक़ील थीं और उनके परिवार वालों की ख़ुशी इस सफलता से अभिव्यक्त नहीं हो रही है।
मीडिया से साझा की दिल की बात
Ayesha Khan ने मीडिया को बात करते हुए कहा, “मेरा चयन उन लोगों के लिए करारा जवाब है, जो महिलाओं को पैरों की जूती समझते हैं। 7 साल पहले, जब पति ने मुझे छोड़ दूसरी शादी कर ली थी, तभी मुझे ज़िंदगी में कुछ करने का जज्बा मिल गया था। मैंने एक जवाब देने का मन बनाया, वह भी अपनी कामयाबी को दिखाकर, जो मैंने आज साबित कर दिखाई है।”
Ayesha Khan ने अपने पति से अलग होने के बाद, जब उनके पति ने दूसरी शादी कर ली और ज़िम्मेदारी आयशा पर आ गई, तो वे सिविल सर्विसेज़ की प्रैक्टिस करना जारी रखीं। वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने लगीं और 43 साल की उम्र में HJS (Jharkhand High Judicial Service) की परीक्षा में 7वीं रैंक हासिल करके एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के पद पर नियुक्ति प्राप्त की हैं। आयशा खान पहले वक़ील रह चुकी हैं और उनके परिवार वाले उनकी सफलता से ख़ुश नहीं हैं।
जब Ayesha Khan से मीडिया ने बात की, तो उन्होंने कहा, “मेरा चयन उन लोगों के लिए करारा जवाब है, जो महिलाओं को पैरों की जूती समझते हैं। 7 साल पहले, जब मेरे पति ने मुझे छोड़कर दूसरी शादी की, तब मुझे ज़िंदगी में कुछ करने का जज्बा मिल गया था। मुझे जवाब देने की इच्छा हुई, और इसे अपनी सफलता के माध्यम से प्रदर्शित करने का मौक़ा मिला, जो मैंने आज हासिल किया है।”
महिला के साहसिक संघर्ष और सफलता: Ayesha Khan की कहानी
Ayesha Khan की कहानी आपराधिक न्यायिक सेवा (एडीजे) की पदों पर वृद्धि करने वाली महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों के बावजूद अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए निरंतर मेहनत की है। वे साबित करती हैं कि महिलाओं को खुद को सशक्त करने की ज़रूरत होती है और वे किसी भी क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकती हैं।
आयशा ख़ान ने 1993 में 10वीं कक्षा में 69% अंक हासिल किए, इसके बाद 1995 में इंटरमीडिएट परीक्षा में 61% अंक प्राप्त किए और BSC परीक्षा में 73% अंक प्राप्त किए। फिर साल 2002 में LLB में वह स्वर्ण पदक विजेता रहीं। शादी के बाद भी, आयशा ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और 2022 में LLM परीक्षा में 75% अंक प्राप्त किए।
अंत में पाई सफलता
इसके बाद, आयशा ख़ान ने झारखंड के ADJ परीक्षा में सफलतापूर्वक भाग लिया और 7वीं रैंक हासिल की। इससे पहले, उन्होंने 26 अप्रैल को न्यायाधीश के पद को ग्रहण किया।
Ayesha Khan की सफलता का श्रेय उनके परिवार को जाता है, जिनमें उनकी मां ज़ीनत ख़ान, बड़े भाई मो. अनवर ख़ान और सबसे छोटे भाई अब्दुल क़ादिर ख़ान शामिल हैं। उनका सपोर्ट और प्रेरणा ही उन्हें इस सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचने में सहायता की है।
Ayesha Khan की अद्भुत इच्छाशक्ति और पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता उन्हें न केवल प्रोफेशनल ज़िन्दगी में सफलता दिलाने में मदद करती हैं, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करती हैं। वे साबित करती हैं कि सामरिकता और संघर्षों के बीच भी कोई भी अपने सपनों को पूरा कर सकता है।