कभी सोचा है कि भगवान Shiv को भांग से क्यों जोड़ा जाता है? जानिए इसके पीछे की दिलचस्प कहानी

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भगवान Shiv सनातन संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। इसलिए उन्हें महादेव भी कहा जाता है। भगवान Shiv को भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि कई नामों से भी जाना जाता है। जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ भोलेनाथ को पूजता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

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सिर्फ एक भोलेनाथ ही हैं, जो अपने भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी कर देते हैं। भोले नाथ की पूजा में न तो लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं और न ही मिठाई। बल्कि भगवान Shiv को ऐसी चीज़ें चढ़ती हैं, जो दूसरे किसी भी देवता को नहीं चढ़ाई जाती हैं। भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, जल और भांग जैसी चीज़े पसंद हैं।

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खासतौर से शिवरात्रि पर भी हर जगह भांग प्रसाद स्वरुप मिलती है। लेकिन आपको लोगो ने कभी सोचा है कि भोलेनाथ को आखिर भांग इतनी क्यों पसंद है। पौराणिक कथाओं में भी इस बात को कहा गया है कि भगवान Shiv भांग का सेवन किया करते थे। हम आपको आज बताते हैं कि आखिर भगवान शिव को भांग इतनी क्यों पसंद थी।

भगवान Shiv को इतनी क्यों पसंद है भांग?

एक कहानी के मुताबिक, एक बार भगवान Shiv की उनके परिवार के साथ बहस हो गई थी और फिर वो एक खेत में चले गए थे। उस खेत में भोलेनाथ एक भांग के पौधे के नीचे सो गए। जब वह सोकर उठे तो उन्होंने कुछ मात्रा में भांग खाई और फिर उन्हें अपने शरीर में तरोताज़गी का एहसास हुआ। तब से वह भांग बेहद पसंद करने लगे।

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भोलेनाथ को भांग पसंद होने की एक और कहानी प्रचलित है कि भगवान Shiv को नीलकंठ कहा गया है क्योंकि समुद्र मंथन के समय भगवान भोलेनाथ ने समुद्र मंथन से उत्पन्न हालाहल को पीकर सृष्टि को तबाह होने से बचाया था। लेकिन विष पीने के बाद इसके प्रभाव से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया कि इन्होंने विष को अपने गले से नीचे नहीं उतरने दिया।

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ये विष इतना गर्म था कि इससे Shiv को गर्मी लगने लगी और वे कैलाश पर्वत चले गए। विष की गर्मी को कम करने के लिए भगवान शिव ने भांग का सेवन किया था। दरअसल, भांग को ठंडा माना जाता है इसलिए उन्‍हें इससे आराम मिला था।

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