Sadma वह बॉलीवुड फिल्म है जो तकरीबन 100 साल से चल रही और आज भी दर्शकों के दिलों पर राज कर रही हैं। 2013 में, जब बॉलीवुड ने अपनी शताब्दी को मनाया था, तब CNN ने एक सूची जारी की थी जिसमें बॉलीवुड इतिहास के 50 सबसे प्रतिष्ठित सीन्स के नाम थे। उस सूची में कमल हासन और श्रीदेवी की 1983 की रोमांटिक ड्रामा Sadma शामिल थी। इस फिल्म का क्लाइमैक्स इस सूची में सबसे दिल दहलाने वाला बताया गया था।
‘Sadma’ फिल्म की कहानी एक युवा महिला के बारे में है जिसकी बाइकिंग के दौरान एक दुर्घटना हो जाती है जिसके कारण उसे अम्नेसिया हो जाता है। वह एक गांव में पहुंचती है और वहां एक माधव नामक युवक उसे अपने साथ ले जाता है। धीरे-धीरे, माधव को पता चलता है कि वह एक बच्चे की माता है, जिसके लिए उसे देखभाल करनी पड़ेगी।
सदमा: एक चित्रण जो हमेशा दिलों में बसा रहेगा
फिल्म का क्लाइमैक्स तब आता है जब वह युवा महिला अपनी पूरी याददाश्त को वापस प्राप्त करती है और उसे पता चलता है कि वह एक विवाहित स्त्री है और उसका अपना परिवार है। इस दर्दनाक मोमेंट में, उसे अपने बच्चे को छोड़ने का फैसला लेना पड़ता है, जो उसे बहुत दुखी करता है।
यह क्लाइमैक्स बॉलीवुड की सबसे प्रभावशाली और भावनात्मक सीन्स में से एक माना जाता है। इसमें कमल हासन और श्रीदेवी की अद्वितीय अभिनय का प्रदर्शन है और दर्शकों को गहरी रूप से प्रभावित करता है।
Sadma एक क्लासिक फ़िल्म है जिसे हर सिनेप्रेमी को ज़रूर देखना चाहिए। इस लेख में कहा गया है कि कमल हासन और श्रीदेवी ने क्रमशः सोमू और नेहालता/रेशमी के किरदार को इतनी ब्रिलियंट तरीके से निभाया था कि दर्शक उनके अद्वितीय प्रदर्शन के चर्चे में रह गए।
Sadma का क्लाइमैक्स देखकर आज भी लोगों को गला रूंध जाता है। इसमें श्रीदेवी को एक भूलने की बीमारी होती है और उसके दौरान वह सोमू यानी कमल हासन से मिलती है। इस बीच, दोनों के बीना एक गहरी दोस्ती और प्रेम का विकास होता है।
जब रेशमी भूलने की बीमारी से ठीक हो जाती है, तब वह सब कुछ भूल जाती है जो उसकी दुर्घटना और उसके इलाज के बीच हुआ था। इस वक्त, सोमू ने उसकी देखभाल कैसे की थी और वे एक दूसरे के बारे में कैसा महसूस करते थे, वह सब उसकी याददाश्त से मिट चुका होता है।
जब वह अपने पुराने जीवन में नेहालता के रूप में लौटती है, तो सोमू उसे अतीत की याद दिलाने के लिए एक ईमानदार कोशिश करता है। इस समय, कमल हासन की एक्टिंग वाकई देखने लायक होती है।
Sadma: एक अद्वितीय फ़िल्म जिसका क्लाइमैक्स दिलों को छूने वाला है
जब वह एक बंदर जैसा चेहरा बनाता है जो रेशमी को पसंद होता है, तो उसे उस नाम की याद दिलाता है जिससे वह उसे पुकारा करती थी। चलती ट्रेन के पीछे वह भागता है, इस दौरान वह नीचे नहीं गिरता है जब तक कि वह पूरी तरह से निराशा में डूब न जाए। इस सीन को देखकर, हमें यह भी एहसास होता है कि कमल हासन कितने अद्वितीय अभिनेता हैं। वे इस सीन में नजरें हटाने के बजाय हमेशा मुख्य रूप से बने रहते हैं। इससे हमें सोमू के दर्द को भी महसूस होता है, जिसका वह गुज़र रहा है।
यह दृश्य हमें बताता है कि कुछ परिस्थितियाँ मानव नियंत्रण से परे होती हैं। यहाँ हम भी सोचने लगते हैं कि सोमू के साथ अन्याय हो रहा है और काश इसकी एंडिंग कुछ अलग होती। बेशक, यह एक खूबसूरती से शूट किया गया सीन भी है।
जब नेहालता कहती है, “कोई पागल है शायद”, तब हमारा दिल भी दहल जाता है। अंत में, जब एक व्यक्ति सोमू से पूछता है कि समस्या क्या है, तो वह अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ दिखता है। वह एक मिनट के लिए खामोश रहता है और फिर निराश होकर एक बेंच की ओर चला जाता है। इस दृश्य में रेशमी के लिए गाया गया गीत भी पृष्ठभूमि में बजता है – ‘सुरमयी अंखियों में…’
आज भी यादगार, ‘Sadma’: बॉलीवुड की अनुपम रोमांटिक ड्रामा
यद्यपि यह फ़िल्म 1983 में रिलीज़ हुई थी, लेकिन इसने अकेलेपन, मानसिक स्वास्थ्य, आदि जैसे विषयों को छून लिया था। आजकल ये विषय मुख्यधारा के सिनेमा का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। इसके अतिरिक्त, श्रीदेवी ने एक भूलने की बीमारी वाली महिला के रोल में बचकानी हरकतें की थीं, जिसे कोई भी भुला नहीं सकता।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका क्लाइमैक्स आज भी देखने के बाद लोग अवाक रह जाते हैं। हिंदी सिनेमा के अस्तित्व के साथ, यह सीन हमेशा एक यादगार होने का दावेदार रहेगा।
Read more: श्रीदेवी और कमल हासन की फ़िल्म सदमा का वो धांसू सीन, जिसको जितनी बार देखो आंसू आ ही जाते हैं