एक मशहूर डायलॉग है कि अगर किसी को भी शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में जुट जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ है P. K. Mahanandia के साथ, जिनकी लव स्टोरी बेहद ही दिलचस्प है। P. K. Mahanandia ने ऐसा इश्क किया कि उन्होंने इसके चक्कर में अपने जीवन को रिस्क में डाल लिया लेकिन वह अपनी प्रेमिका से मुलाक़ात करके ही रहे।
P. K. Mahanandia ने अपने प्यार को पाने के लिए भारत से स्वीडन तक की यात्रा कर डाली। अब आप कहेंगे कि इसमें कौनसी बड़ी बात है, तो हम आपको बता दें इसमें बड़ी बात ये है कि इस मजनू ने अपनी लैला से मिलने के लिए भारत से स्वीडन तक की यात्रा हवाई जहाज से नहीं बल्कि साइकिल से की है। भले ही आपको इस बात पर यकीन ना हो रहा हो, लेकिन ये सच है। आपने आज तक एक से बढ़कर एक लव स्टोरी सुनी होंगी लेकिन पीके महानंदिया की प्रेम कहानी की बात ही कुछ और है।
P. K. Mahanandia पेशे से एक आर्स्टिट हैं। उनके हाथ से पोट्रेट बनवाने के लिए लोग दूर देशों से भी आते हैं। लंदन में पढ़ाई कर रही वॉन शेडविन को जब ऐसे आर्टिस्ट की खबर लगी तो वह वह सीधे भारत की यात्रा पर निकल पड़ीं, ताकि वो उनसे अपना पोट्रेट बनवा सकें। लेकिन इसे आप किस्मत कह लीजिए या पहली नजर का प्यार, लेकिन महानंदिया और वॉन की इस मुलाकात के दौरान दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया। महानंदिया वॉन की खूबसूरती के कायल हो गए तो वहीं वॉन को उनकी सादगी बहुत पसंद आई।
वॉन कुछ समय तो भारत में ही रहीं लेकिन जब उनका वापस अपने घर स्वीडन जाने का वक्त आया, तब दोनों ने शादी करने का फैसला लिया। P. K. Mahanandia ने बताया कि, ‘जब वॉन पहली बार मेरे पिता से मिलीं तो उन्होंने साड़ी पहनी थी। मैं अभी भी नहीं जानता कि उसने वो सब कैसे मैनेज किया लेकिन, मेरे पिता और परिवार के आशीर्वाद से हमने आदिवासी परंपरा के अनुसार शादी कर ली।’
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स्वीडन जाते वक्त शेडविन ने अपने पति को भी साथ चलने के लिए कहा। लेकिन उस वक्त P. K. Mahanandia को अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी, तो उन्होंने बाद में आने का वादा किया। इस बीच दोनों चिट्ठी के जरिए एक दूसरे से जुड़े रहे। एक साल बाद महानंदिया ने शेडविन से मिलने का प्लान बनाया, तो उनके पास फ्लाइट से जाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। उनके पास जो कुछ भी था, उन्होंने वो सब बेच दिया और एक साइकिल खरीदी।
रोजाना 70 किमी साइकिल चलाते थे P. K. Mahanandia
महानंदिया ने उसी साइकिल से स्वीडन जाने का फैसला कर लिया। वह हर रोज 70 किलोमिटर साइकिल चलाते थे। उन्होंने साइकिल से ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की को पार किया। इस दौरान वह कई बार भूखे भी रहे और उनकी साइकिल भी टूटी लेकिन महानंदिया ने अपने हौसलों को नहीं टूटने दिया। महानंदिया 4 महीने और 3 हफ्ते तक साइकिल चलाकर स्वीडन तक पहुँच ही गए।
जानकारी के मुताबिक,अब 64 वर्षीय P. K. Mahanandia अपनी बीवी और बच्चों के साथ स्वीडन में रहते हैं और वहीं आर्टिस्ट का काम करते हैं।
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