Entrepreneur लड़का पिता के विरोध के बावजूद भी MBA करने के बाद बेचने लगा सब्जियां, आज सालाना टर्नओवर है 2 करोड़

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गुजरात के एक युवा entrepreneur की कहानी देश के पढ़े-लिखे युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। यह कहानी साबित करती है कि कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता और महत्वपूर्ण है कि हम अपनी पसंद के अनुसार काम करें, चाहे वह छोटा हो या बड़ा।

आधुनिक युग में, जहां बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद भी युवा लोग चाय और सब्जी बेचने का काम कर रहे हैं, इस युवा entrepreneur ने एक अनोखा मिशन अपनाया है।

इन्होंने बस एक छोटे काम से शुरुआत की और आज वह करोड़ों के व्यापारी बन गए हैं। उनकी मेहनत, समर्पण और entrepreneur-ship ने उन्हें अस्थायी रोजगार से लेकर आज स्थायी रोजगार देने वाले एक स्वयंसेवी entrepreneur बना दिया है।

उनकी कहानी दूसरों के लिए प्रेरणादायक है और साबित करती है कि अपनी पसंद के अनुसार काम करना सफलता की एक महत्वपूर्ण कुंजी हो सकती है।

What makes an entrepreneur an entrepreneur? Determination, according to VCs

मनीष की मन को छू जाने वाली कहानी:

वडोदरा, गुजरात के निवासी मनीष जैन की कहानी अद्भुत और प्रेरणादायक है, जो बताती है कि कभी-कभी हमारे सपनों और पाठशाला की डिग्री के बीच एक असामान्य संयोग हो सकता है।

मनीष जैन ने अपनी इस अद्वितीय कहानी में सच्चाई और सफलता के रास्ते दिखाए हैं।

मनीष जैन के माता-पिता और परिवार के सदस्यों ने उन्हें एमबीए करने के लिए प्रोत्साहित किया था, जो कि आमतौर पर एक उच्च शिक्षा का प्रतीक माना जाता है। उनके परिवार के लोग उनसे एक अच्छी नौकरी करने की आशा रखते थे।

हालांकि, मनीष ने अपने entrepreneur स्वभाव को खोजा और अपनी प्राथमिकता को बदल दिया। उन्होंने सब्जियां बेचने का काम करने का निर्णय लिया, जो कि उनके लिए एक नए और अनोखे क्षेत्र में काम था।

Success Story : यह लड़का MBA करके बेचने लगा सब्जी, पिता ने किया विरोध, अब सालाना 2 करोड़ है टर्नओवर - success story of manish jain founder of vegetable selling startup Veggie

कैसे किया स्टार्टअप:

मनीष जैन ने अपने स्टार्टअप “Veggie” की स्थापना की, जिसमे उन्हें शानदार सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने सब्जियों की खेती शुरू की और उन्हें निर्माताओं, खरीदारों और ग्राहकों के बीच में माध्यम बनाया।

मनीष जैन की यह कहानी सिद्ध करती है कि असामान्य सोच और साहस के बिना, सफलता को हासिल करना संभव नहीं होता। उन्होंने अपने परिवार के विचारों और चुनौतियों का सामना किया और खुद के लिए नया रास्ता चुना।

उनकी सफलता एक प्रेरणास्रोत है जो अन्य युवाओं को अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित करती है।

मनीष जैन की यह कहानी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर भी व्यापक रूप से साझा की जा रही है, जहां लोग उन्हें उदाहरण के रूप में लेकर स्वीकार कर रहे हैं और उनकी सफलता की प्रशंसा कर रहे हैं।

इससे साफ होता है कि लोग मनीष जैन की कहानी में प्रोत्साहन और प्रेरणा देख रहे हैं और उन्हें आदर्श मान रहे हैं।

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क्या है Veggie ?

मनीष जैन ने साल 2016 में “Veggie” नामक स्टार्टअप की शुरुआत की। उन्होंने केवल 10 हजार रुपये के बजट में अपना व्यापार शुरू किया। इन छोटे पैसों से उन्होंने आलू-प्याज का व्यापार आरंभ किया।

समय के साथ साथ, उनका काम भी बढ़ता गया और आज वे 40 से अधिक प्रकार की सब्जियों की बिक्री कर रहे हैं। इनमें कुछ महंगी सब्जियां भी शामिल हैं।

मनीष ने अपने स्टार्टअप के बारे में बताया कि वे हमेशा ताजी सब्जी प्रदान करते हैं, और इसीलिए सब्जियों को स्टोर करके नहीं रखते। इसके लिए वे रात में आर्डर लेते हैं और सुबह सब्जी की होम डिलीवरी करते हैं।

सब्जी स्टार्टअप में सफलता के बाद, मनीष जैन अब कुल्हड़ के व्यापार में हाथ डाल रहे हैं। ये उनके entrepreneur माइंडसेट को दर्शाता है। मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मनीष बताते हैं कि उनके स्टार्टअप का वार्षिक टर्नओवर 2 करोड़ से अधिक है।

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“द कबाड़ीवाला” की भी है सेम कहानी:

अनुराग असाटी भी एक ऐसा नाम है जिन्होंने पढ़ाई-लिखाई के बाद entrepreneur बनने का सोचा और कबाड़ का व्यापार शुरू किया। अनुराग ने बताया कि एक दिन वह कॉलेज में थे तब उन्होंने एक कबाड़ीवाले को ठेला लेकर देखा और उन्हें यह विचार आया कि अक्सर लोग कबाड़ा बेचने के लिए कबाड़ीवाले को ढूंढते हैं।

उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसा करें कि लोग फोन करके कबाड़ीवाले को घर बुलाएं। इसके बाद उन्होंने वेबसाइट तैयार की और एक्शन में आ गए। ये उनके entrepreneur माइंडसेट को दर्शाता है।

शुरुआत में अनुराग ने अपने परिवार को इसके बारे में बताने से इनकार किया। उन्हें लगा कि परिवारवाले समझेंगे कि पढ़ाई-लिखाई के ऊपर पैसा लगाया और अब वह कबाड़ीवाले बन गए हैं।

Anurag Asati - Co-Founder - TheKabadiwala | LinkedIn

कितना है टर्नओवर:

हालांकि, जिस व्यापार को भोपाल में लोग घृणा की दृष्टि से देखते थे, वही “द कबाड़ीवाला” आज वार्षिक 10 करोड़ से अधिक का टर्नओवर दर्ज कर रहा है।

इसके साथ ही, इस स्टार्टअप ने भोपाल, इंदौर, लखनऊ, रायपुर और नागपुर जैसे बड़े शहरों में लगभग 300 लोगों को रोजगार प्रदान किया है।

अनुराग के अनुसार, उन्होंने यह स्टार्टअप जीरो इन्वेस्टमेंट से शुरू किया था, लेकिन आज मुंबई से उन्हें उनके स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए 15 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली है। इससे उनका उत्साह बढ़ा है।

Anurag Asati

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