हमारे देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने में शहीद Bhagat Singh का बहुत बड़ा योगदान है। भगत सिंह का नाम भारतीय इतिहास के पन्नों में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज है। उनके बलिदान की कहानियां हम और आप बचपन से सुनते और पढ़ते आए। 23 मार्च 1931 को भगत सिंह 23 वर्ष की छोटी-सी उम्र में हँसते-हँसते अपने देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए थे।
ना सिर्फ Bhagat Singh बल्कि उनके साथ दो और स्वतंत्रता सैनानी सुखदेव थापर और शिवनाम हरि राजगुरु को भी फांसी दे दी गई। कहा जाता है कि जब इन तीनों को फांसी दी जा रही थी तब पूरा देश गम में डूबा हुआ था, लेकिन ये तीनों वीर अपने देश के लिए शहीद होने पर बेहद खुश थे। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी को लेकर पूरे देश में आंदोलन हो रहा था। लेकिन इनके चेहरे पर ना तो कोई तनाव था और ना शिकन। भगत सिंह की बहादुरी के जितने किस्से सुनाएं जाए, उतने ही कम है।
Bhagat Singh की देश की आजादी के लिए संघर्ष की कहानी कई फिल्मों और टीवी सीरियल के जरिए पर्दे पर दिखाई गई है। प्रेम अदीब, शम्मी कपूर, मनोज कुमार और सोनू सूद से लेकर अजय देवगन तक भगत सिंह के किरदार में नजर आ चुके हैं। वैसे भगत सिंह के किरदार में सबसे ज्यादा अजय देवगन की एक्टिंग की चर्चा होती है।
साल 2002 में आई फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह’ में अजय देवगन की एक्टिंग बिलकुल सच्ची लग रही थी। कहा जाता है कि फिल्म में Bhagat Singh की माँ का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस फरीदा जलाल के आंसू भी सच्चे थे। उन्होंने आंसू लाने के लिए किसी भी चीज़ का इस्तेमाल नहीं किया था।
Bhagat Singh के भाई ने कही ऐसी बात, फूट-फूटकर रोने लगें अजय
अजय देवगन ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि, वह एक बार Bhagat Singh के छोटे भाई कुलतार सिंह से मिले थे। कुलतार सिंह ने अपने भाई के बारे में कई ऐसी जानकारियां दी, जिसकी किसी को खबर नहीं थी। इससे फिल्म बनाने में काफी मदद मिली। अजय देवगन ने बताया कि, जब किसी ने मुझे कुल्तार सिंह से आशीर्वाद देने को कहा। तो इस पर कुलतार सिंह ने जवाब दिया, ‘मैं अपने बड़े भाई को आशीर्वाद कैसे दे सकता हूं?’ ये सुनकर मैं अपने आंसू रोक नहीं पाया।’ 2004 में 86 की उम्र में कुलतार सिंह ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया।
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