Yashasvi Jaiswal की ‘फ़र्श से अर्श’ तक पहुंचने की कहानी, इन 15 पुरानी तस्वीरों की ज़ुबानी

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आईपीएल 2023 में वैसे तो कई खिलाड़ियों ने अपना शानदार प्रदर्शन किया लेकिन इन सबको पछाड़कर अगर किसी खिलाड़ी की सबसे ज्यादा चर्चा हुई वो है Yashasvi Jaiswal। आईपीएल यानी इंडियन प्रीमियर लीग का 16वां सीजन अब खत्म हो चुका है। इस सीजन में एक बार फिर महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स ने फाइनल में गुजरात टाइटंस को हरा दिया। लेकिन इन सबके अलावा Yashasvi Jaiswal इन दिनों काफी चर्चा में बने हुए हैं।

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Yashasvi Jaiswal ने मैदान में अपना ऐसा जलवा दिखाया कि हर किसी की नजरें उनपर ही टिक गई। यशस्वी जायसवाल ने पूरे सीज़न गेंदबाज़ों की जमकर क्लास लगाई है और टीम इंडिया में शामिल होने का मज़बूत दावा ठोक दिया है। राजस्थान रॉयल्स के युवा ओपनर यशस्वी सबसे तेज अर्धशतक लगाने वाले खिलाड़ी बन गए। उन्होंने महज 21 साल की उम्र में ये कारनामा कर दिखाया।

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Yashasvi Jaiswal ने महज 13 गेंद पर ही अर्धशतक लगा दिया। इसी के साथ यशस्वी ने लखनऊ सुपर जाएंट्स के कप्तान केएल राहुल का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया। बता दें राहुल ने ये रिकॉर्ड बनाने के लिए 14 गेंदों का सामना किया था। उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ मुकाबले में फास्टेड फिफ्टी का रिकॉर्ड अपने नाम किया है। यशस्वी जायसवाल ने इस साल आईपीएल के 14 मैचों में 625 रन बनाए। इसी के साथ वो सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में 5वें नंबर पर रहे।

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पिता के साथ गोलगप्पे बेचते थे Yashasvi Jaiswal

Yashasvi Jaiswal को इस मुकाम तक पहुँचने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े हैं। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में जन्मे यशस्वी जायसवाल का बचपन से ही सपना था क्रिकेट खेलने का। लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति बेहद ख़राब थी, जिस वजह से उनका ये सपना पूरा होने में काफी दिक्कतें हुई। यशस्वी मुंबई में जिस क्रिकेट ग्राउंड में प्रैक्टिस करते थे, उसी के बाहर वह अपने पिता के साथ गोलगप्पे भी बेचते थे।

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पैसे ना होने के कारण कई बार Yashasvi Jaiswal को भूखे पेट ही सोना पड़ा। यशस्वी ने डेयरी में भी काम किया, लेकिन उन्हें वहां से एक दिन नौकरी से निकाल दिया गया। फिर यशस्वी ने एक क्लब से रहने के लिए मदद मांगी, जिसके बाद क्लब ने ये शर्त रखी की यदि खेलोगे तो ही टेंट में रहने को मिलेगा। इन्होंने यहां पर खाना बनाने का भी काफी काम किया था।

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फिर एक दिन कोच ज्वाला सिंह की नजर Yashasvi जैस्वाल पर पड़ी। उन्होंने यशस्वी के टैलेंट को पहचाना और फिर इस बाएं हाथ के बल्लेबाज को निखारा। यशस्वी ने एक बार ज्वाला सिंह के बारे में कहा था कि, ‘मैं उनका गोद लिया हुआ बेटा हूं। मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में उनका अहम योगदान है।”

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