Family से दूर होना एक व्यक्ति के लिए कितना दुखद हो सकता है, वह शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। यह वास्तव में वह एहसास हैं, जिन्हें शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। इसका सही मतलब, वही व्यक्ति जान सकता है जिन्होंने यह सब अनुभव किया है।
यह दुःखभरा सत्य है कि इस दुनिया में कई लोग हैं जो अपने प्रियजनों से दूर होकर लापता हो जाते हैं। इसका मतलब है कि वे उनके खो जाने के बाद उन्हें ढूंढ़ने की कोशिश करते रहते हैं।
इसे ध्यान में रखते हुए, एक पुलिस अधिकारी राजेश कुमार ने अपनी अद्वितीय कार्यशैली और परिश्रम के माध्यम से अपनी family से अलग हुए 672 लोगों को उनकी family से मिला दिया है। इसके जरिए, उन्होंने बहुत सारे लोगों को फिर से उनके प्यार करने वालों में ला दिया है।
SI राजेश कुमार हरियाणा पुलिस स्टेट क्राइम ब्रांच में तैनात हैं और वे एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में कार्य करते हैं। उन्होंने साल 2000 में पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए भर्ती होकर अपनी पुलिसी करियर की शुरुआत की। लेकिन 2016 में, उन्होंने एक नया काम शुरू किया, जिसमें गुमशुदा लोगों की खोज करके उन्हें उनके परिवारों से मिलाने का कार्य था।
इन 6 सालों में, SI राजेश कुमार ने अपने प्रशंसनीय प्रयासों और समर्पण के माध्यम से 672 लोगों को उनकी family से फिर मिलवाया है। उनकी सेवा और प्रयासों के परिणामस्वरूप वह हज़ारों family के प्रियजनों को फिर से अपने खोए हुए साथी से जोड़ सके हैं ।
SI राजेश कुमार के प्रशंसनीय प्रयासों की एक और मिसाल है जब उन्होंने एक बच्ची को 16 सालों बाद उसकी family से मिलवाया। इस बच्ची का नाम मुन्नी है, जो केवल 7 साल की आयु में अपने माता-पिता से अलग हो गई थी। मुन्नी को बस अपनी family की धुंधली याद ही थी, और उसके जीवन में उसकी family की खाली जगह भरी जाने की आशा हमेशा रही थी।
राजेश कुमार ने इसी आशा के साथ मुन्नी के गांव का पता ढूंढ़ लिया। धैर्य, समर्पण और मेहनत के बावजूद, उन्होंने सिर्फ 4 महीनों में बच्ची को उसके परिवार से मिलवा दिया। इस लम्बे समय के बाद इस मुलाक़ात ने मुन्नी के जीवन में अद्वितीय सुख और आनंद की वापसी करी।
ऐसे ही राजेश कुमार ने एक डेढ़ साल के गुमशुदा बच्चे को डायपर की मदद से उसके परिवार से मिलवाया। यह बच्चा एक लोकल ब्रांड का डायपर पहना हुआ था। राजेश कुमार ने तत्परता से यह जानने की खोज की कि इस डायपर को कहां मिलता है और फिर जगह का पता लगा कर बच्चे को फैमिली से मिलवाया।
राजेश कुमार ने वास्तव में एक महान कार्य किया है। उन्हें महत्वपूर्ण प्रशंसा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मिली है। उनके काम की खबरें नेपाल, दुबई और यूके तक पहुंच गई हैं, जहां लोगों ने उनके कार्य की प्रशंसा की है। इस अद्भुत सेवा को देखते हुए, ‘द बुक ऑफ होप‘ नामक पुस्तक भी छपी है, जो राजेश कुमार के काम को दर्शाती है।
हमारे देश को राजेश कुमार जैसे हीरोज पर गर्व है।
SI राजेश कुमार को उनके बेहतरीन प्रदर्शन और मेहनत से काम करने के लिए हाल ही में सरकार ने उन्हें पुरुस्कार से नवाजा है। जी हां सिपाही के तौर पर भर्ती हुए राजेश कुमार जो अब SI बन चुके हैं उन्हे राष्ट्रपति पदक के लिए चुना गया है। सरकार के इस फैसले पर सरकार को सब ही देशवासियों ने सराहा है। हम उम्मीद करते हैं हमारे देश में और भी राजेश कुमार जैसे हीरोज पैदा हों। और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए यह एक मिसाल बने।
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