Temple भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में घूमते हुए हमें हर एक नगर या गांव में धार्मिक स्थल मिलेगा, जहां मंदिरों की विविधता स्पष्ट दिखती है। प्रत्येक मंदिर (Temple) अपनी अद्वितीय कहानी लेकर आता है, जो कि ऐतिहासिक और मान्यताओं से भरी होती है। लोग अपनी श्रद्धा और आस्था के साथ इन मंदिरों (Temple) का दर्शन करते हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने की कामना करते हैं।
भारत में कहीं भी जाएं, वहां निश्चित रूप से कोई प्रसिद्ध मंदिर (Temple) मिलेगा। कुछ समय वहां देवी-देवताओं की दर्शन किए जाते हैं और कभी-कभी उनकी पूजा-अर्चना के लिए ठहरा जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार मंदिरों (Temple) की महिमा विस्तारपूर्वक फैली होती है। प्रत्येक मंदिर (Temple) की अपनी विशेष कथा होती है और लोग उन्हें बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ प्रसाद चढ़ाने आते हैं। कुछ मंदिर प्रसाद के कारण भी प्रसिद्ध होते हैं और इसे अनेक तरीकों से उपयोग किया जाता है। आज हम आपको ऐसे एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां चाय को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।
भारतीय संस्कृति में मंदिरों (Temple) को प्रसाद का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां लोग अपनी पूजा के दौरान प्रसाद को देवताओं को चढ़ाते हैं और फिर इसे आपस में बांटते हैं। कुछ मंदिरों में चावल, मिठाई, फल, नारियल और घी जैसे प्रसाद बांटे जाते हैं। इस मंदिर पर आधारित है जहां अनोखा प्रसाद सेवित किया जाता है – चाय।
केरल के कन्नौर जिले में स्थित एक अद्वितीय मंदिर है, जिसका नाम है “मुथप्पन टेंपल”। यह मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और महान आध्यात्मिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का सबसे अद्वितीय और विशेषतम तत्व है, यहां भगवान को चाय का भोग चढ़ाया जाता है। इस वजह से मुथप्पन टेंपल को चाय मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।
मुथप्पन टेंपल (Temple) की विशेषता इसके भव्य और आकर्षक संरचना में है। इसकी संगठन, विशाल गोपुरम्, और अंदर स्थित आध्यात्मिक मूर्तियों की सुंदरता इसे अनुपम बनाती है। यहां परंपरागत केरलीय वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण देखे जा सकते हैं और यहां की मांगुली उन्नति स्तंभ भी दिलचस्प है।
वालपट्टनम नदी के किनारे स्थित एक मंदिर (Temple) है, जहां भगवान मुथप्पन की पूजा की जाती है। यह मंदिर लोक देव के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है और उन्हें भगवान विष्णु और शिव का अवतार माना जाता है।
इस मंदिर (Temple) में भगवान को प्रसाद के रूप में साबूत मूंग दाल की चाट और चाय चढ़ाया जाता है। जब भक्त मंदिर में दर्शन करते हैं, उन्हें यही प्रसाद बांटा जाता है। यह प्रसाद खाने के लिए लोग दूर-दूर से इस मंदिर आते हैं। इसका स्वाद अत्यंत अद्वितीय होता है और लोग इसे खाने का आनंद लेते हैं।
मंदिर (Temple) परिसर में रोजाना सैंकड़ों लीटर दूध की चाय बनाई जाती है। यह विशेषता भक्तों को चाय के साथ आदर्श प्रसाद का आनंद देती है और इसे भगवान की कृपा का प्रतीक माना जाता है।
इस मंदिर (Temple) में आने वाले भक्तों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। मंदिर परिसर में स्थान की मुफ्त उपलब्धता होती है, जिससे सभी भक्त यहां बिना खर्च किए ठहर सकते हैं। लोग दूर-दूर से इस मंदिर की यात्रा करते हैं और उन्हें अपने ठहरने के लिए मंदिर परिसर में बने कमरों का उपयोग करने का आनंद मिलता है।
इस मंदिर को एक और वजह से भी प्रसिद्धता प्राप्त हुई है। यहां भगवान को प्रसन्न करने के लिए थियम (नाच) का आयोजन होता है, जिसे लोग बहुत उत्साह के साथ देखने आते हैं। इस प्रकार की प्रस्तुति को “थियम” कहते हैं और इसका दर्शन करने का भी महत्वपूर्ण स्थान है।
इस मंदिर की चाय भी एक अन्य मशहूरता कारण है। इस चाय का स्वाद अद्वितीय होता है और इसकी चुस्की के लिए भक्तों की भीड़ मंदिर में जमा होती है। चाय की खुशबू और स्वाद को अनुभव करने के लिए लोगों का दिल मंदिर की तरफ़ दौड़ा चला आता है।
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