Ajab-Gajab Village: भारत में यहां जूते-चप्पल नहीं पहनते हैं लोग, नहीं जाते हैं अस्पताल, जानिए इस गांव के अनोखे नियम

गांव के लोग नहीं पहनते चप्पल compressed

Ajab-Gajab Village/ रहस्यमयी गांव वेमना इंदलू के विषय में आगे की कहानी सस्पेंस और रहस्य से भरी हुई है। इस छोटे से गांव (Village) का अस्तित्व सदियों से चल रही परंपराओं और गहरी रहस्यमयता से भरा हुआ है। कहानी के माध्यम से यह उजागर होता है कि जब से इस गांव की स्थापना हुई है, उस समय से ही लोग बिना जूते-चप्पल के यानी नंगे पांव ही चलते आ रहे हैं।

कुछ रहस्यमयी कारणों की वजह से यह गांव (Village) अस्पतालों के लिए पूरी तरह अज्ञात है। किसी भी आपातकाल में, जब भी कोई गांव वाला या यात्री या गांव में कोई सांसद या जिला मजिस्ट्रेट आते हैं, उन्हें गांव की सीमा से पहले ही अपने जूते-चप्पल उतारने की मांग की जाती है। इसे जानकर उत्पन्न होने वाला शंका और सस्पेंस वातावरण, इस गांव की गहराई और अनसुलझे रहस्य का पर्दाफाश करने की इच्छा को और बढ़ाता है।

Village

जब लोग बिना जूते-चप्पल के बड़ी दूरी तक यात्रा करते हैं, तो यह असाधारण लगता है। कैसे संभव हो सकता है कि वो नंगे पांव बिना किसी तकलीफ और बिना किसी रुकावट के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें? यह प्रश्न दर्शकों की ध्यान को आकर्षित करता है और उन्हें इस रहस्यमयी गांव के आध्यात्मिक और अद्भुत दुनिया में ले जाता है।

आगे की कहानी में जानते हैं, क्या रहस्य इस अनोखे गांव (Village) के लोगों की जीवनशैली के पीछे छिपा हुआ है, और क्या इसका जवाब ढूंढने में वामना इंदलू के यात्रियों को किसी अनसुलझे ख़तरे का सामना करना पड़ेगा। आइए बताते हैं।

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इस Village की विशेषता

इस गांव (Village) में एक विशेष परंपरा के अनुसार, जब से लोग यहां बसने आए हैं, तब से ही एक नियमितता के साथ यह प्रथा चली आ रही है कि कोई भी बाहर से आने वाले व्यक्ति का इस गांव में प्रवेश करने से पहले नहाना अनिवार्य है। यह प्रथा शायद स्वच्छता और निर्मलता के महत्व को दर्शाने का एक तरीका हो सकता है। लोग इसे धार्मिक और सामाजिक महत्व के साथ पालते हैं।

इस गांव (Village) के अधिकांश निवासी अशिक्षित होते हैं, जिसका एकमात्र कारण शिक्षा सुविधाओं की कमी है। इसके बावजूद, इन लोगों की जीवनशैली खेती और किसानी पर निर्भर होती है। यह एक ग्रामीण समुदाय है जिसकी आर्थिक व्यवस्था खेती और पशुपालन पर आधारित है। खेती यहां की मुख्य आय स्रोत है और इसे लोग अपने जीवन की प्राथमिकता मानते हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस गांव के लोग किसी अधिकारी की बजाय अपने देवता और सरपंच की बातों को अधिक मानने की प्रवृत्ति रखते हैं। इस प्रकार की विशेषता समाज में समरसता और सहयोग की भावना को बढ़ाती है और सामाजिक समूह को सुदृढ़ और समर्थ बनाती है।

इस गांव (Village) में दिखाई देने वाले ये सभी तत्व साझा समुदायिकता, सामाजिक व्यवस्था और सद्भाव की प्रतीक हैं। लोगों की अपनी परंपराओं, धार्मिकता और स्थानीय संस्कृति के प्रति गहरा समर्पण इस गांव को अद्वितीय बनाता है और उनकी आत्म-पहचान को मजबूत करता है।

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इस समुदाय के लोग भी रेहते हैं

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वेमना इंदलू गांव में पलवेकरी समुदाय के लोग आवास करते हैं, जो अपनी विशेष पहचान दोरावारलू के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं। यह समुदाय आंध्र प्रदेश के पिछड़े वर्ग में सम्मिलित है। इस विषय पर सबसे अद्भुत बात यह है कि गांव में कोई भी अस्पताल नहीं है जिसका उपयोग इन लोगों द्वारा किया जाता हो।

वेमना इंदलू गांव के पलवेकरी समुदाय के लोगों के जीवन में यह अनोखी और स्पष्टतः चित्रित करने वाली बात है कि उनके पास आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से वंचित होते हुए भी वे अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी जरूरतों का सामर्थ्यपूर्ण समाधान खुद ढूंढ़ लेते हैं। इस गांव में कोई औषधालय नहीं है, और यह समुदाय अपनी प्राकृतिक औषधीय ज्ञान का उपयोग करके बीमारियों का इलाज करता है। वे अपनी प्राचीन आयुर्वेदिक विद्या और स्थानीय जड़ी-बूटियों का उपयोग करके बुखार, दस्त, खांसी और अन्य आम रोगों का इलाज करने की कला को अद्वितीय रूप से संघटित करते हैं।

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भगवान की श्रद्धा करती है उनकी रक्षा

वेमना इंदलू गांव के लोगों का आध्यात्मिक आदर्श व्यक्तिगत भक्ति पर आधारित है और वे ईश्वर के अद्भुत शक्ति में आपातकालीन विश्वास रखते हैं। इसीलिए, वे मान्यता से युक्त हैं कि वह जिस भी भगवान की पूजा और अर्चना करते हैं, वह भगवान ही उनकी सुरक्षा और सहायता करेंगे। वेमना इंदलू गांव के लोग ऐसे मान्यताओं में गहरी श्रद्धा रखते हैं और अपनी जीवनशैली को इन मान्यताओं से जोड़ते हैं। तिरुपति में स्थित मंदिर भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिष्ठा स्थली हैं, जहां इस गांव के लोग पूजा-अर्चना के लिए भी नहीं जाते।

हालांकि, इस अद्वितीय और आध्यात्मिक समुदाय की विशेषता यह है कि जबकि वे मंदिर में पूजा करने के लिए समर्पित हैं, लेकिन वे किसी अस्पताल में इलाज के लिए नहीं जाते हैं। जब भी वेमना इंदलू गांव के लोगों को बीमारी का सामना करना पड़ता है, वे गांव में स्थित नीम के पेड़ की परिक्रमा करते हैं। यह प्रथा उनकी आध्यात्मिकता और जीवनशैली का अभिन्न अंग बन चुकी है। उनके लिए, यह एक उच्च पवित्रता की अद्वितीय अनुभव है और वे नीम के पेड़ की परिक्रमा करके अपने शरीर और मन को शक्ति और ऊर्जा से भरते हैं। यह संगठनिक रूप से गांव की सामाजिक संरचना का हिस्सा बन चुकी है और एक आध्यात्मिक संवाद की गहराई को दर्शाती है।

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यह भी है एक अनोखा नियम

वेमना इंदलू गांव (Village), जहां नियमों की सख्ती एक अनोखी पहचान है। यहां के निवासियों को विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है। बाहर से आने वाले लोगों को गांव में प्रवेश करने से पहले अपने शरीर को नहा-धोकर शुद्ध करना होता है। यह सुनिश्चित करता है कि शुद्धता और स्वच्छता का महत्व बना रहे। इसके साथ ही, गांव (Village) (Village) के निवासियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे जूते या चप्पल पहनकर गांव के अंदर न जाएं। इससे संगठनशीलता, समानता और समरसता का संकेत मिलता है। यह नियम ग्रामीण अधिकारियों के लिए भी लागू होता है, जिन्हें नियमों का सख्ती से पालन करना होता है।

इस विशेष गांव (Village) में महिलाओं को अपने पीरियड्स के दौरान गांव से दूर रहना होता है। यह अपेक्षित रक्षा और सुखद वातावरण सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। इन महिलाओं को गांव के बाहर ही ठहरना पड़ता है, जहां उन्हें सभी आवश्यकताओं की व्यवस्था की जाती है। यह विचार उन्हें सम्मान, स्वतंत्रता और आत्म-प्रमाणित बनाता है।

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